तेरी याद मे सुबेह शाम पिता हू..
गम के प्यालो को मय के घुंट समझ कर..
गर्दीश मे चढता है मुझे नशा तेरी यादोंका...
जिता हू उसिमे ख्वाबोकी दुनिया बनाकर..
गम के प्यालो को मय के घुंट समझ कर..
गर्दीश मे चढता है मुझे नशा तेरी यादोंका...
जिता हू उसिमे ख्वाबोकी दुनिया बनाकर..
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